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 *'हिन्दूधर्म पर बिरसा मुन्डा के विचार एवं उनके संदेश:*
*✒ तुम हिन्दू कभी नहीं थे, तुम आज भीहिन्दू नहीं हो।*
*✒ तुम हिन्दू धर्म के गुलाम हो।*
*✒ तुम्हें धर्म का भी गुलाम बना लियागया है।*
*✒ हिन्दू धर्म छोड़ना धर्म परिवर्तननहीं बल्कि गुलामी की जंजीरे तोड़ना है।जाति के अधार पर किसी को ऊँचामानना पाप है और नीचा माननामहापाप।*
*✒ हिन्दू धर्म की आत्मा वर्ण जाति औरब्रह्मण हितेषी कर्मकांडो मैं है।*
*✒ वर्ण और जाति के बिना हिन्दू धर्म कीकल्पना ही नहीं की जा सकती है।*
*✒ हिन्दू धर्म मे कर्म नहीं जाति प्रधान है।*
*✒ हिन्दू धर्म वर्णों का है तुम किसी भीवर्ण मैं नहीं आते हो, जबरदस्ती सबसे नीचेवर्ण मैं रखा गया है।*
*✒ हिन्दू धर्म के कर्मकांडों को तुम्हे नहींकरने दिया गया और तुम नहीं कर सकते हो।*
*✒ हिन्दु धर्म के भगवान उनके अवतार औरउनके देवी देवता ना तो तुम्हारे हैं और न तुमउनके हो।*
*✒ इसलिए वे तुम्हारे साये से भी परहेज करतेआये हैं और आज भी कर रहे हैं।*
*✒ कुत्ते बिल्ली की पेशाब से उन्हें कोईपरहेज नहीं है परन्तु तुम्हारे द्वारा दिए गएगंगा जल से अपवित्रहो जाते हैं।*
*✒ उनकी पुनः शुद्धि गाय के मल-मूत्र सेहोती है।*
*✒जब तक तुम हिन्दू रहोगे तुम्हारा स्थानसबसे नीचा रहेगा।*
*✒याद रखो हिन्दू धर्म के देवी देवताहीतुम्हारे पूर्वजों के हत्यारे हैं!*
*✒धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिएनहीं और जो धर्म तुम्हें इन्सान नही समझतावह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है |*
*✒जहाँ ऊँच और नीच की व्यवस्था है, वहधर्म नही,गुलाम बनाये रखने की साजिशहै।*

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